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दोस्तों पिछले आर्टिकल में हमने आप को मिर्गी रोग के बारे में डिटेल जानकारी देने की कोशिश की थी जैसे की"मिर्गी रोग क्या है जानिए इसका कारण, प्रभाव और प्राथमिक उपचार के बारे मेँ।" और आज हम आपको मिर्गी रोग के परमानेंट इलाज \ उपचार के बारे में बताने वाले है इसके लिए डॉक्टर मिर्गी रोगी के दौरे का विस्तृत विवरण जानना चाहते हैं जो एक प्रत्यक्षदर्शी ही दे सकता है दौरा किन परिस्थितियों में हुआ , रोगी को अन्य क्या परेशानियाँ है , वह और कोई दवा का सेवन कर रहा है , क्या जन्म के समय कोई परेशानी हुई थी , उसका शारीरिक व मानसिक विकास कैसा रहा है ।
क्या कभी रोगी को सिर में चोट लगी थी या मस्तिष्क ज्वर हुआ था , क्या परिवार में अन्य किसी व्यक्ति को इस प्रकार की बीमारी है । यह सब जानकारी आवश्यक होती है । डॉक्टर द्वारा जरुरी समझने पर खून की जाँच जैसे ब्लड शूगर , यूरिया इलेक्ट्रोलाइट्स , कैल्शियम व छाती का एक्स - आदि परीक्षण कराये जाते हैं । सी.टी. स्केन के लिए सलाह दी जाती है , इसके अतिरिक्त ई.सी.जी. की विशेष रोगी को सलाह दी जाती है । दोस्तों इस आर्टिकल में आप पढ़ेंगे निम्नलिखित :-
मिर्गी रोगी की चिकित्सा:-
1. रोगी को दिन में नियमित रूप से ध्यान रखने वाली आवश्यक जानकारी:-
2. मिर्गी रोग में उपचार के दौरान रखी जाने वाली सावधानियाँ : -
मिर्गी रोगी इन गतिविधियों से बचें : -
मिर्गी रोगी के दुवारा दवा लेने पर भी दौरे आने की संभावना बढ़ने के कारण : -
मिर्गी रोगी के दौरे की पूर्वावस्था का अवलोकन : -
मिर्गी रोगी मे दौरे आने के दौरान : -
मिर्गी रोग और उसका विवाह:-
उदाहरण के रूप में : -
मिर्गी रोगी की देखभाल और अति संरक्षण:-
मिर्गी रोगी के माता - पिता को कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है:-
मिर्गी रोगी की चिकित्सा:-
मिर्गी रोग में नियमित रूप से दवा लेने से पूर्णतया काबू पाया जा सकता है । नियमित दवा खाना अति आवश्यक है । दवा की एक खुराक ना लेने से पुनः दौरा आ सकता है और यह भी संभव है कि दौरा अधिक भयंकर हो या कई बार आ जाये ।
एक सीमित अवधि तक दौरे न आने पर औषधियों को धीरे - धीरे बन्द किया जाता है । यह अवधि सामान्यतया दो से तीन वर्ष होती है । पर्याप्त औषधि लेते हुए मिर्गी का रोगी एक अन्य सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन यापन कर सकता है । यह रोग संक्रात्मक नहीं है तथा अनुवांशिक भी नहीं है । इसलिये यह जरूरी नहीं कि भविष्य में रोगी की संतान को भी यह रोग हो ।
1. रोगी को दिन में नियमित रूप से ध्यान रखने वाली आवश्यक जानकारी:-
- निर्धारित समय पर दवा लेना भूल जाने पर भी जब याद आए तब दवा ले लें परन्तु अगली दवा का अंतराल 4 घंटे से कम ना हो ।
- मिर्गी के दौरों और इनकी बारंबारिता ( संख्या ) की सही जानकारी दर्ज करें ।
- अकेले तैराकी के लिए जाते समय किसी को अवश्य बताएं । हो सके तो किसी को अपने साथ ले जाएं । दौरा लम्बे समय तक नहीं आने पर ही तैराकी करें ।
- यदि आप गर्भ निरोधक गोली या अन्य कोई दवा ले रहे हों तो अपने डॉक्टर को अवश्य बताएं । प्रिग्नेन्सी होने पर डॉ . को बताएं , जिससे डॉक्टर दवा बदले , कम करे , विटामिन आदि दवा लिखें । नियम से दवाई ! कभी भूलना नहीं ! समय से लेना ! पूरी खुराक लेना !
- समय पर भोजन ! भूखे न रहे ! उपवास न करें !
- समय से नींद ! पूरी नींद ! जागरण न करें ! नींद प्रतिदिन 7-8 घंटा लेनी चाहिए । रात्रि में भी दिमाग के सेल आपस में काम करते हैं और दो सेलों की बीच के सफाई का काम करते हैं । नींद पूरी नहीं होने पर दौरा आने की संभावना बढ़ है । किसी भी काम की वजह से देर रात नहीं जगना चाहिए ।
- नशा न करें ! शराब , सिगरेट , बीड़ी , तम्बाकू और गुटखा का सेवन न करें । मीट , अण्डा भी नहीं खावें ।
- खाली न बैठें ! काम करें ! व्यस्त रहें !
- बहुत ज्यादा थकान व तनाव से बचें ।
2. मिर्गी रोग में उपचार के दौरान रखी जाने वाली सावधानियाँ : -
1. स्वयं दवा की खुराक कम न करें । दौरा 6 माह , 1 वर्ष , 1 ' / , वर्ष तक बिल्कुल नहीं आने पर भी स्वयं दवा लेना बंद न करें । डॉक्टर को स्थिति बताएं , डॉक्टर दवा धीरे - धीरे मात्रा कम करेंगे । स्वयं दवा बंद करना बीमारी को पुनः बुलावा देना है ।
2. यदि दवा से कोई परेशानी हो तो चिकित्सक से सम्पर्क करें ।
3. अपने पास सदैव दवाइयों का स्टॉक पूरा रखे । दो - चार दिन दवा न लेने पर पुनः दौरा आने पर लम्बा उपचार लेना पड़ेगा ।
4. पीने की दवा की शीशी को पहले ठीक से हिला लेना चाहिए ।
5. ज्यादा नजदीक से या लम्बे समय तक टेलीविजन ना देखें । जब प्रसारण सही नहीं आ रहा हो तो टीवी ना देखे । बीच - बीच में उठकर दूसरी जगह बैठें । छोटे पर्दे पर देखना ज्यादा ठीक है । बहुत ज्यादा थकान के कामों से बचें व अधिक तनाव व भयभीत होने से बचें ।
6. सामान्य खान - पान , खेलने - कूदने , लिखने - पढ़ने में किसी प्रकार की रोक - टोक नहीं है ।
7. भोजन में अनियमितता ( समय पर न लेना ) से शर्करा ( Suger Level ) का स्तर कम हो सकता है । भोजन अधिक करने पर अपाचन , अजीर्ण हो सकता है इससे भी दौरों में वृद्धि हो सकती है ।
8. तेज रोशनी की चमक जैसे तेज चिलमिलाती रोशनी , वीडियो गेम ( ज्यादा दूरी से ) , आकाशीय बिजली की चमक की तरफ या इस तरह के रोशनी की ओर नहीं देखना । इन गतिविधियों से बचें : -
9. समुद्र , नदी या तालाब में अकेले तैरना , बाथरूम में जाने से पहले रोगी घर के अन्य सदस्य को कहकर जावे एवं दरवाजे की अन्दर की कुंदी नहीं लगावें । फव्वारे के नीचे नहाना ज्यादा सुरक्षित है ।
10. दवाई लेने का समय याद रखने के लिए मोबाइल या घड़ी में दवा के समय का अलार्म भर देवें । जिससे दवाई लेने का समय नियमित रूप से याद रहे ।
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11. यह याद रखना चाहिए कि दौरे में व्यक्ति को दर्द नहीं के बराबर होता है । ज्यादातर दौरे थोड़ी देर के लिए ही होते हैं और अपने आप बंद हो जाते हैं । इसलिए जिसको दौरा पड़ रहा हो उसको सुरक्षित रखिए और दिलासा दीजिए । प्रत्यक्षदर्शी को घबराना नहीं चाहिए ।
12. ऊंचे स्थानों पर जैसे पहाड़ों पर चढ़ाई न करें ।
13. लम्बे समय तक कम्प्यूटर , इलेक्ट्रिक उपकरणों पर गेम न खेलें ।
14. बाथ टब में तथा ज्यादा गरम पानी से नहीं नहाना चाहिए । अधिक गरम पानी से नहाने से भी दौरा आ सकती है ।
15. खुली आग में या अकेले भोजन बनाना । फिनीटोइन , कार्बेमेजिपीन , सोडियम वेलप्रोऐट तथा फिनाबार्वीटोन आदि मिर्गी रोग में प्रयोग में लाई जाने वाली मुख्य दवाये हैं । यहाँ सामान्यतया इन दवाओं से ही रोग पर काबू करने का प्रयास किया जाता है । इन दवाओं से कभी - कभी किसी को असामान्य प्रभाव हो सकते हैं , जैसे मसूड़ों में सूजन , बाल झड़ना , वजन बढ़ना आदि हो सकते हैं । ऐसा होने पर डॉक्टर को दिखाएं । इस बीमारी की ऐसी प्रवृति है कि नियमित रूप से दवा लेने पर भी कभी दौरा आ जाता है , अतः आप घबराये नहीं ।
16. मिर्गी रोग स्वयं ट्रेक्टर , मोटरसाईकिल , कार आदि न चलाएं । करीब 3 माह तक लगातार दौरा नहीं आने पर तथा शारीरिक स्थिति अच्छी होने पर चला सकता है अन्यथा पीछे बैठे , ड्राइव करने वाले को पकड़कर रखें , हेल्मेट लगाए , दौरा आने पर गिर सकता है , गम्भीर चोट भी लग सकती है ।
मिर्गी रोगी के दुवारा दवा लेने पर भी दौरे आने की संभावना बढ़ने के कारण : -
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- दवा की एक खुराक भूल जाना या कम मात्रा में दवा लेना ।
- तेज बुखार आ जाना । सर्दी व खांसी आना ।
- रात में कम सोना या अधिक रात तक जागना ।
- शादी व अन्य समारोह के अवसरों पर झिलमिलाती रोशनी से बचें ।
- नशीले पदार्थों का प्रयोग या मद्यपान ।
- दवाई समाप्त हो जाना , पैसे की तंगी होना , यात्रा के समय औषधि साथ न रखना , समय से न लेना , पूरी खुराक न लेना ।
- तनाव,Caffqine लेना ।
- सिर में चोट लगना ।
- खून में Glucose की मात्रा कम हो जाना ।
- मासिक समय ।
मिर्गी रोगी के दौरे की पूर्वावस्था का अवलोकन : -
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1. दौरे के पूर्व व्यक्ति कहाँ था तथा क्या कर रहा था ?
2. मरीज की मानसिक स्थिति कैसी थी ? क्या वह अशांत या चिंतित था , उद्वेलित था ?
3. क्या दौरे आने के पीछे कोई कारण था ? जैसे थकान , नींद की कमी , खाली पेट या बुखार ।
4. दौरे के पहले पूर्वाभास महसूस हुआ या नहीं ? जैसे गंदगी बू , अलग प्रकार की असामान्य गंध या असामान्य स्वाद महसूस होना ।
5. आपने दौरा कैसे पहचाना जोर से चीख की आवाज या गिरने की आवाज या आँखों को फेरना ।
6. क्या वह शून्य में देख रहा था ? टकटकी लगाकर देख रहा था , क्या उसकी चेतना खो गई थी या अव्यवस्थित थी ।
7. क्या वह कुछ देर के लिए असामान्य व्यवहार कर रहा था ? जैसे- पैर से तबला बजाना , कपड़ों को खींचना , चेहरे के रंग में परिवर्तन , पलकों को बार - बार झपकाना आदि ।
8. डर या चिंता , मतली या उबकाई आना ।
9. चक्कर आना ।
10. दृष्टि संबंधी लक्षण जैसे आंखों के सामने तेज रोशनी , धब्बे दिखाई देना या डांवाडोल होना ।
मिर्गी रोगी मे दौरे आने के दौरान : -
2. क्या शरीर के किसी हिस्से में कम्पन्न , ऐंठन या ढीलापन था ?
3. जमीन पर गिरने पर उसके शरीर में ऐंठन थी या ढीलापन था ?
4. क्या उसकी जबान या गाल दांतों से कट गए थे ?
5. क्या उसने कपड़े गीले किये ?
6. दौरा कितने समय के लिए था ?
मिर्गी रोग और उसका विवाह:-
मिर्गी रोग को विवाह करने की कोई मनाई नहीं है , किन्तु कार्यक्रम दिन में ही सम्पन्न करें अन्यथा शादी में रात्री में देर तक जागरण से दौरा आ सकता है । विवाह से पूर्व चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवा नियमित रूप से चलती रहनी चाहिए । यदि संभव हो तो दवा का कोर्स पूरा होने पर ही गर्भधारण करना चाहिए । यदि ऐसा संभव नहीं है तो गर्भ ठहरने पर भी दवायें नियमित चलनी चाहिए । कभी - कभी बच्चे के हित में मिर्गी की दवाओं में परिवर्तन किया जाता है । इन दवाओं का गर्भस्थ शिशु पर कुप्रभाव हो सकता है । परन्तु दवा न लेने पर दौरा आने पर होने वाले नुकसान की तुलना में काफी कम दूध पिला क्योंकि दौरे में गर्भपात भी हो सकता है । प्रसव के बाद माँ अपने बच्चे को सकती है । इससे बच्चे को कोई हानि नहीं पहुंचती ।
ऐसा देखा गया है कि 200 सामान्य गर्भस्य महिलाओं में से एक को मिर्गी रोग की बीमारी होती है । मिर्गी रोग को अपने पास एक पहचान - पत्र रखना चाहिए , जिसमें अपना नाम , पता व बीमारी का नाम तथा दवा का विवरण लिख लें । अपने उपचार करने वाले चिकित्सक का नाम व पता भी लिख दें । रोगी को अपनी बीमारी का रिकॉर्ड रखना चाहिए तथा होने वाली दौरे की तारीख सहित अंकित करना चाहिए । अपने डॉक्टर के साथ इन बातों की चर्चा करें अपने इवेंट कैलेंडर में दौरों की जानकारी रिकॉर्ड करने के अलावा आप अपने किसी प्रश्न को भी लिख सकते हैं ।
उदाहरण के रूप में : -
1. जिस तरह के दौरे मुझे पड़ते हैं उसके लिए उपचार के कौनसे विकल्प उपलब्ध है ?
2. क्या कुछ निश्चित विटामिन या कुछ विशेष तरह का भोजन लेना सहायक है ?
3. आपात स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए ?
4. मुझे कितनी नींद निकालनी चाहिए ?
5. अपनी दवाइयां लेना भूल जाऊं तो ?
6. केवल महिला मरीजों के लिए- मैं किस तरह की गर्भनिरोधक गोलियां लूं ?
मिर्गी रोगी की देखभाल और अति संरक्षण:-
ज्यादातर भारतीय परिवारों में यह देखा जाता है कि जिस बच्चे या व्यक्ति में अपाहिज या कोई भी गंभीर बीमारी ( मिर्गी रोग ) होने पर परिवार उसे बहुत ज्यादा अति संरक्षण ( ज्यादा ध्यान देना ) और सहानुभूति देते हैं । मिर्गी पीड़ित व्यक्ति पर अति संरक्षण रखने में उसमें अपरिपक्वता और गैर जिम्मेदारी होने का अहसास होता है , क्योंकि उसे यह महसूस होता है कि मैं कुछ नहीं कर सकता । इसलिए उन्हें चाहिए कि अपने बच्चों को बराबर प्यार दें ।
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एक जैसी शिक्षा दें , हर क्षेत्र में वह भी ऐसा ही परफॉर्मेन्स कर सकता है । जब बच्चों में पहली बार मिर्गी के दौरे को माता - पिता देखते हैं तो उन्हें मानसिक आघात लगता है कि यह हमारे बच्चे को क्या हो गया है ? उसके मन में कुछ नकारात्मक विचार आने लगते हैं - स्वयं निराश न हो और न ही बच्चे में हीनता , निराशा के भाव पनपने दें ।
1. क्या मेरा बच्चा अकेला रह पाएगा या नहीं ? हमेशा उसके आस - पास किसी को रहना पड़ेगा ? जब बच्चा 10-12 वर्ष का या बड़ा हो जाए उसे स्वयं का काम खुद करने की आदत डालें , समय पर दवा लेना सिखाएं , उसको व्यस्त रखें तथा आत्म विश्वास बढ़ाएं ।
2. विद्यालय में शिक्षक उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे ? दूसरे सामान्य बच्चों में और मेरे बच्चे में फर्क करेंगे ? विद्यालय प्रबंधक व शिक्षक को बच्चे की जानकारी अवश्य दे देवें व अनुरोध करें कि इससे सामान्य व्यवहार करें ।
3. रिश्तेदारों को मालूम पड़ेगा तो क्या सोचेंगे ? इन विचारों से माता - पिता के मन में डर बैठ जाता है और वह हताश हो जाते हैं और वह अपने बच्चे के साथ अति संरक्षण का व्यवहार करने लगते हैं ।
माता - पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे के साथ या फिर जिस भी व्यक्ति में बीमारी की जांच करने के पहले जैसा सामान्य व्यवहार करते थे वैसा ही करें । ज्यादा अति संरक्षण व्यवहार उसके भविष्य के लिए अच्छा नहीं है ।
मिर्गी रोगी के माता - पिता को कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है:-
1. मिर्गी रोग के बारे में पूरे परिवार के साथ चर्चा करें , उस मरीज को बीमारी के बारे में अच्छे से जानकारी दें । जिससे वह अपने आप में शर्म महसूस न करें ।
2. अपने बच्चे का मनोबल बढ़ाएं , उसे प्रोत्साहित करें ।
3. विद्यालय में जाकर उसके शिक्षक से बात कर इस बीमारी की सही जानकारी दें । और सहयोग करने के लिए निवेदन करें ।
4. मरीज को उम्र के साथ उसकी जिम्मेदारी का एहसास कराएं और उसे हर कार्य क्षेत्र में आगे आने में प्रेरित करें । सार यह है कि हमें बीमारी से लड़ने की क्षमता होनी चाहिए ।
किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती है । हर बीमारी का इलाज है । लाइलाज नहीं है । बस जरूरत है थोड़े से धैर्य और हिम्मत की ।
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि मिर्गी रोग का पूर्ण उपचार कैसे किया जा सकता है इसके उपचार के दौरान क्या सावधानिया रखनी चाहिए । मिर्गी रोग के पुरे उपचार के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बताएँ है । अगर आपको और बीमारियों के बारे में जानकारी चाहिए तो हमारे ब्लॉग को विजिट करे नहीं तो कमेंट बॉक्स में लिखे किसआप कौनसी बीमारी के सम्बन्ध में जानकारी चाहिए।
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