मिर्गी आने के कारण:-
मिर्गी आने के कई कारण होते हैं । मनुष्य के जीवन में कुछ न कुछ घटनाएं होती रहती । कभी - कभी ये घटनाएं भी मिर्गी का कारण बन जाती है । जैसे किसी दुर्घटना में मस्तिष्क में गम्भीर चोट पहुंचना , खेलते समय सिर के बल ऊंचाई से गिरना तेज बुखार आना , मस्तिष्क ज्वर , मस्तिष्क में रक्त नलियों की विकृति , मदिरा का अत्यधिक सेवन कृषि के लार्वा द्वारा मस्तिष्क का संक्रमण , रक्त में सोडियम , कैल्शियम व शर्करा की असामान्यता के कारण भी दौरे को संभावना बढ़ जाती है ।
सामान्य तौर पर नवजात शिशुओं में जन्म के समय प्रसव पीड़ा में जटिलताएं होने के कारण , दिमाग में पक्षाघात होने पर मिर्गी के दौरे आने लगते हैं । मस्तिष्क के केन्द्रीय स्नायु तंत्र में किसी प्रकार की गठान या संक्रमण होने के कारण दौरे आने की संभावनाएं बढ़ जाती है । मस्तिष्क में कोई बीमारी जैसे न्यूरोसिस्टिसरकोसिस या बेक्टीरियल मेनिन जाइटिस एवं सेरिब्रल मलेरिया के कारण भी मिर्गी के दौरे आते हैं , जिसका निदान व्यक्तिगत रूप से चिकित्सक के साथ विचार - विमर्श एवं इलाज करने से संभव है ।
मिर्गी के लक्षण:-
मांसपेशियों का अचानक जकड़ना , शरीर का लड़खड़ाने लगना अर्थात् संतुलन खो देना , शरीर जकड़ जाना , चेहरे की मांसपेशियाँ खिंच जाना , आँखों के आगे अन्धेरा छाना , बेहोश होना , मुंह से झाग आना , होठ या जीभ काट लेना , आंखें ऊपर की ओर पुतलियां खिंचना , बेहोशी आकर अचानक गिर जाना , दिमागी संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाना , कभी इसका प्रभाव शरीर के एक हिस्से पर देखने को मिलना , कमजोरी आ जाना , स्मृति का कुछ समय के लिए लोप हो जाना , तेज रोशनी या झिलमिलाती रोशनी से परेशानी होना आदि इसी रोग के लक्षण है । ऐसी हालत में शीघ्र डॉक्टर से सम्पर्क करे।मिर्गी के दौरे खासतौर से स्कूल के बच्चें में कई प्रकार के होते हैं , जैसे-
1. पलक झपकते हुए कुछ समय के लिए होश खो देना ।
2. इधर - उधर भटकना ।
3. पेट में थोड़ी देर के लिए अजीब सा महसूस होना ।
4. अपने कपड़ों को छूते रहना ।
5. होठों को चाटते रहना ।
6. शरीर से अकड़ना फिर जोर से हिलना या कांपना ।
7. बच्चों को खुली जगह पर एवं छत पर अकेले नहीं खेलने दें ।
8. छोटे बच्चों में छः माह से छः वर्ष तक के दौरान तेज ज्वर ( बुखार ) से मिर्गी के दौरे आ सकते हैं।
मिर्गी रोगी का दौरा पड़ने पर प्राथमिक उपचार:-
1. रोगी को आराम से बिस्तर पर लिटा दे , कपड़े ढीले कर दे , चश्मा हटा दे , बटन खोल दे , दौरे के बाद करवट ले लिटा दें , जिससे मुंह की लार आदि बाहर निकल सके और सांस की नली में नहीं जाये ।
2. दौरे के समय मुंह में पानी डालने , दवा खिलाने का प्रयास नहीं करे , यह चीजें श्वास नली में जाकर अवरोध उत्पन्न करती है ।
3. भिचे हुए जबड़े को बलपूर्वक खोलने का प्रयास नहीं करे , चम्मच आदि को दांतों के बीच नहीं फंसाये । जूता , प्याज या अन्य कोई तीव्र गंध सुंगाने का प्रयत्न न करें ।
4. व्यक्ति को दूसरे स्थान पर न ले जाएं ।
5. रोगी को पकड़कर अनावश्यक नियंत्रित न करें जब तक कि उस जगह कोई खतरा न हो ।
6. व्यक्ति को चिल्लाकर उठाए नहीं व जोर से हिलाएं - दुलाएं नहीं । व्यक्ति के पास भीड़ नहीं आने दें एवं दौरे के बाद रोगी से शांति से बात करें । आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिकांश दौरे जीवन के लिए घातक नहीं होते हैं ।
7. सामान्यतया दौरा 2 से 4 मिनट में समाप्त हो जाता है ।
परन्तु कभी - कभी अधिक समय तक दौरा चलता है ऐसी स्थिति में अपने चिकित्सक से तुरन्त सम्पर्क करे । चिकित्सकीय जाँच डॉक्टर मिर्गी रोगी के दौरे का विस्तृत विवरण जानना चाहते हैं जो एक प्रत्यक्षदर्शी ही दे सकता है । दौरा किन परिस्थितियों में हुआ , रोगी को अन्य क्या परेशानियाँ है , वह और कोई दवा का सेवन कर रहा है , क्या जन्म के समय कोई परेशानी हुई थी , उसका शारीरिक व मानसिक विकास कैसा रहा है । क्या कभी रोगी को सिर में चोट लगी थी या मस्तिष्क ज्वर हुआ था , क्या परिवार में अन्य किसी व्यक्ति को इस प्रकार की बीमारी है । यह सब जानकारी आवश्यक होती है ।
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि मिर्गी रोग क्या है इसके प्रमुख कारणों , लक्षणों और प्राथमिक उपचार के बारे में। मिर्गी रोग के पुरे उपचार के बारे में हम आपको अगले आर्टिकल में बताएँगे। अगर आपको और बीमारियों के बारे में जानकारी चाहिए तो हमारे ब्लॉग को विजिट करे नहीं तो कमेंट बॉक्स लिखे किस बीमारी के सम्बन्ध में जानकारी चाहिए आपको।
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