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वेग क्या होता है इसका हमारे स्वास्थ्य क्या सम्बन्ध है ?\What is velocity and how does it relate to our health?

ENGLISH TRANSLATION IS BELOW

शरीर के वेगों को कभी नहीं रोकना चाहिए जैस नींद एक वेग है, इसे रोकना नहीं चाहिए क्योंकि वेगों को रोंकने से भी बीमारियां उत्पन्न होती हैं।


शरीर के वेगों का अर्थ मतलब क्या है ?
"शरीर के वेग" का अर्थ हो सकता है आपके सबसे महत्वपूर्ण शारीरिक प्रक्रियाओं की गति या तेज़ी को संकेत करना। यह शरीर के वेग के विभिन्न हिस्सों में आत्मस्थानीयता, कसरत, ऊर्जा खपत, और अन्य शारीरिक प्रक्रियाओं के साथ जुड़ा हो सकता है। इसमें आपकी दिल, श्वसन प्रणाली, मांसपेशियों की सक्रियता, और अन्य अंगों की गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं।

शरीर में कितने प्रकार के वेग होते हैं?

शरीर में 14 प्रकार के ऐसे वेग हैं जिन्हें रोकना नहीं चाहिए अन्यथा उनसे रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

हमारे शरीर के वेग में नींद आना, भूख, प्यास, छींक, मल निष्कासन, मूत्र निष्काषन, पादना, खांसी, हंसना, रोना, हिचकी आना, डकार आना, जम्हाई लेना इत्यादि 14 प्रकार के वेग हैं।

आयुर्वेद में इसे आमदोष के नाम से जानते हैं। आयुर्वेद के सिद्धान्त से अग्नि मन्द होने से आमदोष होता है तथा आंत जठराग्नि का स्थान माना जाता है । इन जीवाणुओं की खराबी से आंत में उत्पन्न होने वाले हारमोन भी असामान्य हो जाते है। जिससे आंत की संकुचन शक्ति एवं क्रियाशीलता प्रभावित होती है।

शरीर के वेगों का महत्व:-

1 हँसी सहज रूप में आ रही है तो कभी मत रोकें। हँसी शरीर में बनने वाले कुछ अलग-अलग रसों (अलग-अलग ग्रंथियों से उत्पन्न होती है) के कारण पैदा होती है। मस्तिष्क में एक पिनियल ग्लैण्ड है जो बहुत मदद करता है हँसी आने के लिए, पिनियल ग्लैण्ड में कुछ रस बनते हैं जिनसे हँसी का सीधा सम्बन्ध होता है।



 पहले ये रस पैदा होगा बाद में हँसी आयेगी। ये रस भावना (शरीर की) के कारण सेकेण्ड्स में उत्पन्न होता है। जबरदस्ती कभी नहीं हँसना चाहिए। क्योंकि बिना-भाव के और बिना रस की हँसी से शरीर को कोई लाभ नहीं होता है। ये पूरी तरह की यान्त्रिक हँसी होती है। बिना रस और बिना भाव की हँसी में कभी भी पेट की नस पे नस चढ़ सकती है जिससे पेट दर्द या अन्य कई तकलीफें आ सकती हैं। ऐसी स्थिति में पेट का आपरेशन भी करना पड़ सकता है।

2 दूसरा एक वेग है, न तो जबरदस्ती छींकने की कोशिश करें और न ही आती हुई छींक को रोकने की कोशिश करें। जबरदस्ती छीकने से 13-14 रोग शरीर में आ सकते हैं और आती हुई छींक को रोकने पर 23-24 रोग हो सकते हैं।



3  तीसरा वेग है प्यास जिसे कभी नहीं रोकना चाहिए। पानी कितनी भी प्यास में सिप-सिप करके पीना चाहिए। बिना प्यास के पानी सुबह-सुबह ही पी सकते हैं अन्यथा नहीं। सुबह मतलब ब्रह्म मुर्हत यानी सूर्योदय से डेढ़ घण्टे पहले का समय। प्यास रोकने से कुल 58 रोग शरीर में आते है। कुर्सी पर बैठकर पानी पीना भी सही नियम नहीं है।

4 भूख के वेग रोगने से 103 रोग शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिसमें पहला रोग एसिडिटी का है और आखिरी रोग आँत का कैंसर है।


5 जम्हाई आने का वेग कभी न रोकें शरीर के रक्त में आक्सीजन की मात्रा कम होने के कारण जम्हाई आती है। क्योंकि इसी के माध्यम से रक्त में आक्सीजन की इस कमी की पूर्ति करने के लिए अतिरिक्त आक्सीजन की व्यवस्था होती है।


 इसलिए जम्हाई को कभी न रोके। जहाँ अपने से उच्च लोग बैठे हों उस अवस्था में थोड़ी दूर जाकर या मुँह घुमाकर जम्हाई लें। प्रकृति का नियम है जितनी ऑक्सीजन लेगें उसी समय में उतनी ही कार्बनडाई आक्साइड बाहर निकलेगी।

6 मूत्र वेग कभी रोकने की कोशिश न करें। इसको रोकने से रक्त के सारे विकार शरीर धारण कर लेगा। यह वेग रोकने से शरीर के हर हिस्से में दबाव बढ़ जाता है। रक्त पर दबाव पड़ेगा तो सभी ग्रन्थियों पर दबाव पड़ेगा। मूत्र का एक-एक कण आना किसी बीमारी के कारण होता है। मूत्र खुलकर आना और बार-बार आना बीमारी नहीं है। ऐसी स्थिति में किसी विशेषज्ञ की मदद लें।


7 मल का वेग कभी न रोकें। दिन में दो बार, समय कोई भी हो सामान्य स्थिति है और 2 बार से अधिक जाने की अवस्था में कोई समस्या/बीमारी हो सकती है यानि रोज 3-3 बार जाना थोड़ी असामान्य स्थिति है। 



लेकिन 3 बार से अधिक जाना मतलब निश्चित रूप से कोई समस्या/बीमारी की स्थिति है। इसके लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें।

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8 वीर्य का वेग साधु, सन्त, महंत, अथवा ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले लोगों को ही रोकना चाहिए और अवश्य रोकना चाहिए। इसमें सभी कुंवारे लोग भी शामिल हैं। गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों को वीर्य का वेग कभी नहीं रोकना चाहिए। अर्थात काम वेग गृहस्थ लोगों को कभी नहीं रोकना चाहिए। ऐसा करना बहुत ही खराब माना गया है। ऐसा सिर्फ पति-पत्नि के परिपेक्ष्य में कहा गया है। कुंवारे लोगों के लिए इसका पहला नियम लागू होता है।



9 वीर्य का वेग गृहस्थ लोगों के लिए भी कृत्रिम नहीं होना चाहिए अर्थात जबरदस्ती वीर्य के वेग को पैदा भी नहीं करना चाहिए। गृहस्थ नियमों के साथ ही इस नियम का पालन करना चाहिए। साधु, सन्त, महात्मा, ब्रह्मचारी इस तरह के लोग असाधारण श्रेणी के मनुष्य हैं। अर्थात गृहस्थ लोग साधारण श्रेणी के लोग हैं।

ENGLISH TRANSLATION


The movements of the body should never be stopped. Just as sleep is a movement, it should not be stopped because stopping the movement also leads to diseases.


What is the meaning of body velocities?
"Body velocity" can mean the speed or rapidity of your most important bodily processes. This velocity may be associated with autolocalization, exercise, energy consumption, and other physiological processes in different parts of the body. This may include activities of your heart, respiratory system, muscle activity, and other organs.

How many types of velocity are there in the body?
There are 14 types of impulses in the body that should not be stopped otherwise they cause diseases.
There are 14 types of impulses in our body sleep, hunger, thirst, sneezing, stool excretion, urine excretion, farting, coughing, laughing, crying, hiccups, belching, yawning, etc.
In Ayurveda, it is known as Amadosh. According to the theory of Ayurveda, the slowing down of Agni leads to Amadosh, and the intestine is considered to be the place of gastric fire. Due to the malfunction of these bacteria, the hormones produced in the intestine also become abnormal. Due to this the contraction power and functioning of the intestine is affected.
Importance of body velocities:-
1. If laughter comes naturally then never stop it. Laughter is produced due to different juices (originating from different glands) produced in the body. There is a pineal gland in the brain that helps a lot in causing laughter. Some juices are produced in the pineal gland which are directly related to laughter.

First, this juice will arise and later laughter will come. This juice is produced in seconds due to emotions (of the body). One should never laugh forcefully. Because laughter without emotion and without juice does not benefit the body. This is completely mechanical laughter. Laughter without joy and without emotion can irritate the stomach at any time, causing stomach aches or many other problems. In such a situation, a stomach operation may also be required.
2. The second one is velocity, neither try to sneeze forcefully nor try to stop the oncoming sneeze. Sneezing forcefully can cause 13-14 diseases and stopping the sneeze can cause 23-24 diseases.


3 The third velocity is thirst which should never be stopped. Water should be drunk sip by sip no matter how thirsty. You can drink water without thirst only in the morning, otherwise not. Morning means Brahma Murhat i.e. the time one and a half hours before sunrise. A total of 58 diseases come into the body by suppressing thirst. Drinking water while sitting on a chair is also not a good rule.

4. Due to lack of appetite, 103 diseases enter the body. In which the first disease is acidity and the last disease is intestinal cancer.

5. Never stop the speed of yawning. Yawning occurs due to a low amount of oxygen in the blood of the body. Because through this, additional oxygen is provided to compensate for the lack of oxygen in the blood.


Therefore never stop yawning. Yawn in a situation where people taller than you are sitting, go a little distance away, or turn your face. The law of nature is that the more oxygen we take in, the same amount of carbon dioxide will come out at the same time.

6 Never try to stop urine flow. By stopping this, the body will absorb all the blood disorders. By stopping this velocity, pressure increases in every part of the body. If there is pressure on the blood, there will be pressure on all the glands. The presence of single particles of urine is due to some diseases. Open and frequent urination is not a disease. In such a situation, get help from an expert.

7 Never stop the flow of stool. Twice a day, no matter what the time, is a normal situation, and if you go more than 2 times, there may be some problem/disease, that is, going 3 to 3 times a day is a bit abnormal.

But going more than 3 times definitely means some problem/disease condition. Take the
 help of an expert for this.
8. The flow of semen should and must be stopped only by sages, saints, mahants or people who practice celibacy. This also includes all the bachelors. People living a family life should never stop the flow of semen. That is, family people should never stop their sexual urges. It is considered very bad to do so. This has been said only from the perspective of husband and wife. The first rule applies to bachelors.


9. The velocity of semen should not be artificial even for family members, that is, the velocity of semen should not be created forcefully. This rule should be followed along with household rules. Sadhu, Saint, Mahatma, Brahmachari, such people are an extraordinary class of human beings. That is, householders are ordinary people.

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