ENGLISH TRANSLATION IS BELOW
दोस्तों आज हम चर्चा करेंगे लू यानि हीट स्ट्रोक के बारे में। दोस्तों देश के ज्यादातर हिस्सों में भीषण गर्मी का दौर आरंभ हो गया है। यदि इस मौसम में पर्याप्त सावधानी बरती जाए, तो तेज धूप, लू और गर्मी से होने वाली विभिन्न परेशानियों से बचा जा सकता है...
सूरज का ताप शरीर को झुलसाने लगा है। गर्मी में सेहत पर सबसे बड़ी मार सूर्य के ताप की पड़ती है। सूर्य का ताप बढ़ने से दोपहर के समय बाहर बहुत तेज गर्म हवाएं (लू) चलती हैं। इससे लू यानि हीट स्ट्रोक लगने का खतरा सबसे अधिक रहता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।डायरिया, टाइफाइड, त्वचा संक्रमण होने की भी आशंका रहती है। स्वच्छ खानपान, धूप से बचाव व कुछ सावधानियां बरतकर गर्मी का मुकाबला किया जा सकता है। शरीर का सामान्य तापमान 95.5 फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) होता है। वातावरण का तापमान 37 डिग्री से अधिक होने पर शरीर की त्वचा इसे नियंत्रित करती है। इसलिए पसीना निकलना शुरू हो जाता है।
यह भी पढ़िए....................गर्मी के मौसम में राहत के लिए कुछ तरबूज से बनने वाले पेय प्रदार्थो की रेसिपीज ?\Recipes of some watermelon drinks for relief in the summer season?
वातावरण का तापमान सामान्य से चार-पांच डिग्री सेल्सियस अधिक होने पर शरीर को अपना तापमान नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। इस कारण शरीर का गर्मी नियंत्रित करने का सिस्टम बिगड़ जाता है। गर्मी से होने वाली थकावट, बेहोशी और लू लगने जैसी समस्याएं सामने आती हैं। इन दिनों लू यानि हीट स्ट्रोक लगना सबसे खतरनाक समस्या है।
1 लू क्या होती है
2 लू कैसे लगती है ?
3 लू लगने के प्रमुख लक्षण क्या है ?
लू यानि हीट स्ट्रोक लगने पर शरीर में पानी की कमी महसूस होने लगती है। इस वजह से प्यास बहुत लगती है। सिर दर्द शुरू हो जाता है। इसके अलावा उल्टी, चक्कर आना, बुखार व पसीना अधिक आना, इसके लक्षण हैं। कई लोग गर्मी की वजह से बेहोश हो जाते हैं, जिसे हीट सिंकोप कहा जाता है।
लगातार या अधिक देर तक लू यानि हीट स्ट्रोक या सूर्य के ताप में रहने पर शरीर से पसीना आना बिल्कुल बंद हो जाता है। यह खतरे की घंटी है। यदि पसीना आना बंद हो जाए, तो समझ लें, यह हीट स्ट्रोक का लक्षण है। इससे किडनी, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग खराब हो सकते हैं यानी यह जानलेवा साबित हो सकता है। लू यानि हीट स्ट्रोक लगने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए, क्योंकि शरीर को बहुत तेजी से ठंडा करने की जरूरत होती है। इसके लिए शरीर को बर्फ से स्पंज करने के साथ-साथ तापमान को नियंत्रित करने के लिए ड्रिप भी लगाना पड़ सकता है।
3.1 बच्चे, बुजुर्ग व बाहर निकलने वालों को अधिक खतरा
लू यानि हीट स्ट्रोक लगने का सबसे अधिक खतरा बच्चों व बजुर्गों को होता है, क्योंकि उनके शरीर का तापमान नियंत्रित करने का सिस्टम ठीक नहीं होता है। जो लोग धूप में अधिक देर तक काम करते हैं, उन्हें भी लू यानि हीट स्ट्रोक लगने की आशंका रहती है। शरीर से जितना पसीना निकलता है, उसके अनुपात में इलेक्ट्रोलाइट पानी पीने की भी जरूरत होता है। इलेक्ट्रोलाइट पानी का मतलब होता है कि उसमें पर्याप्त खनिज हों। इसलिए गर्मी में ओआरएस का घोल पीने की सलाह दी जाती है, ताकि शरीर का हाइड्रेशन बेहतर बना रहे। सुबह 11 बजे से दोपहर साढ़े तीन बजे तक लू लगने की आशंका सबसे अधिक रहती है। इस दौरान बाहर धूप में रहने से भरसक बचना चाहिए।
4 लू का इलाज
4.1 पहले तापमान कम
सबसे पहले लू यानि हीट स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति के शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश - करें । उसे ठंडी और छायादार जगह में बिठाएं । कपड़े ढीले कर दें , पानी पिलाएं और ठंडा कपड़ा उसके शरीर पर रखें । लगातार तरल पदार्थ देकर उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें । उसके हाथ - पैरों की ठंडे पानी और हल्के हाथों से मालिश करें । नमक व चीनी मिला पानी , शर्बत या नींबू पानी दें । आंखों को ठंडक देने के लिए गुलाब जल में रुई भिगोकर आंखों पर रखें । थोड़ा आराम मिले तो डॉक्टर के पास ले जाएं।
4.2 लू और खानपान
ऐसे में मरीज को बेल या दूसरी तरह के शर्बत , सत्तू आदि दिया जा सकता है । तलवों , हथेलियों व ललाट पर चंदन का लेप और सिर पर मेहंदी लगाएं । लू यानि हीट स्ट्रोक लगने पर बाहर का खाना बिल्कुल न खाएं । घर में भी तला - भुना न खाएं । नींबू पानी और इलेक्ट्रॉल पीते रहें । शुगर के मरीज बिना चीनी का शर्बत और ठंडाई लें । आधा दूध और आधा पानी मिलाकर दिन में कई बार पीना लाभ देता है ।
यह भी पढ़िए....................आप गठिया के बारे में क्या जानते हैं और इसके लक्षण और उपचार क्या हैं?
4.3 आयुर्वेद में उपचार
लू यानि हीट स्ट्रोक लग जाए तो आयुर्वेद की इन दवाओं का डॉक्टर की सलाह से इस्तेमाल कर सकते हैं- अगर नब्ज कमजोर हो तो संजीवनी सुरा दो चम्मच पानी से । तेज बुखार हो तो जयमंगल रस और गोदंती मिश्रण की एक गोली सुबह- दोपहर - शाम पानी से । उलटी हो तो आधी छोटी चम्मच एलादि चूर्ण और कपूर धारा पानी से । अगर बेहोशी - सी लगे तो मूर्खतक रस की एक गोली फौरन पानी से दें ।
4.4 होम्योपैथी में उपचार
गर्मी के मौसम में जेलसीमियम -200 ( Gelsemium ) की एक डोज हर 15 दिन में एक बार लेने से लू से बचाव रहता है । लू यानि हीट स्ट्रोक लगने के साथ बुखार , कमजोरी , बेचैनी और कमजोरी भी हो तो आर्सेनिक एल्बम 30 ( Arsenic Album ) दें । अगर बुखार ज्यादा हो , मुंह सूखा हो , पेशाब ज्यादा आए और कब्ज भी हो तो ब्रायोनिया -30 ( Bryonia ) दें । इसमें मरीज का मुंह सूखा रहता है और प्यास ज्यादा लगती है ।
5 लू से बचाव हेतु विशेष ध्यान रखने योग्य बाते
5.1 एसी से निकलकर गर्म स्थान पर जाने से बचें
वातानुकूलित कमरे या कार से निकलकर तुरंत गर्म स्थान या धूप में जाने पर शरीर को अपने तापमान में संतुलन बनाए रखने में दिक्कत आती है, इसलिए सर्दी जुकाम शुरू हो सकता है और स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
5.2 धूप से आकर तुरंत फ्रिज का पानी न पिएं
धूप या बाहर से आकर कई लोग तुरंत फ्रिज का ठंडा पानी पी लेते हैं। इससे सर्दी जुकाम हो सकता है। धूप से आने के बाद कुछ देर बैठकर शरीर को ठंडा होने देना चाहिए। इसके बाद पानी पीना अच्छा होता है।
5.3 पैरासिटामोल ना लें, ठंडे पानी से स्नान करें
लू यानि हीट स्ट्रोक लगने से अगर बुखार आ रहा है, तो खुद से पैरासिटामोल नहीं लेना चाहिए। यह लिवर व किडनी के लिए घातक हो सकता है। दिन में कई बार ठंडे पानी से स्नान कर सकते हैं।
यह भी पढ़िए....................दाढ़ी बढ़ाने के क्या फायदे और नुकसान हैं?
5.4 रेहड़ी का पानी ना पिएं
गर्मी के दिनों में जगह-जगह रेहड़ी पर पानी बिकना शुरू हो जाता है। रेहड़ी के पानी के टैंक की साफ-सफाई ठीक नहीं होती। उसका पानी पीने और खुले में बिकने वाले कटे हुए फल खाने से डायरिया हो सकता है।
5.5 धोकर ही खाएं फल
यह कुदरत का कमाल है कि गर्मी के मौसम में मौसमी फलों तरबूज, खरबूजा, आम, लीची आदि में पानी की मात्रा अधिक होती है। इन दिनों में मौसमी फलों, खीरा, ककड़ी का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए। फलों को पकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल होता है, इसलिए फलों को ठीक से धोकर ही उपयोग में लाना चाहिए।
यह भी पढ़िए.......................हमें कैसे खाना चाहिए ताकि हम स्वस्थ रहें?
ENGLISH TRANSLATION
Friends, today we will discuss about heat stroke. Friends, the scorching heat has started in most parts of the country. If adequate precautions are taken in this season, various problems caused by strong sunlight, heat wave and heat can be avoided.
The heat of the sun has started scorching the body. The biggest threat to health in summer is the heat of the sun. Due to the increase in the temperature of the sun, very strong hot winds (loo) blow outside in the afternoon. Due to this, the risk of heat stroke is highest, which can also prove fatal. There is also a possibility of diarrhea, typhoid, and skin infection. Heat can be combated by eating clean food, protection from sunlight, and taking some precautions. Normal body temperature is 95.5 Fahrenheit (37 degrees Celsius). When the environmental temperature exceeds 37 degrees, the body's skin controls it. That's why sweating starts.
Also read\यह भी पढ़िए....................गर्मी के मौसम में राहत के लिए कुछ तरबूज से बनने वाले पेय प्रदार्थो की रेसिपीज ?\Recipes of some watermelon drinks for relief in the summer season?
1 what is heat stroke?
In northern India, the dusty, extremely hot, and dry winds blowing from northeast and west to east during summer are called Loo\heat stroke. This type of wind blows in May and June. During the heat wave, the temperature can go up to 45° to 50° centigrade. Heat waves are common in this summer season. Heat waves are most prevalent in Barmer district of Rajasthan state of India.
2 How does heatstroke feel?
Heatwave, a type of heat, is a time of day with maximum heat, often seen in hot climate regions. During this period the temperature is very high and the sunlight is also very strong. People need to pay attention during heat waves, as it can affect health due to excessive heat. There are some precautions to keep in mind during heat waves such as drinking an adequate amount of water, avoiding excessive sunlight, and not spending too much time outside in the heat.
3 What are the main symptoms of heat stroke?
Due to heat stroke, lack of water in the body starts feeling because of one feels very thirsty. Headache starts. Apart from this, its symptoms are vomiting, dizziness, fever, and excessive sweating. Many people faint due to heat, which is called heat syncope.
Due to continuous or prolonged exposure to heat or sun, the body stops sweating completely. This is an alarm bell. If sweating stops, then understand that it is a symptom of heat stroke. Due to this, vital organs like the kidney and liver can get damaged i.e. it can prove fatal. In case of heat stroke, one should immediately go to the hospital, because the body needs to cool down very fast. This may require sponging the body with ice as well as a drip to control the temperature.
3.1 Children, elderly, and those going out are at greater risk
Children and the elderly are most at risk of heatstroke because their body temperature control system is not good. People who work in the sun for long periods of time are also at risk of heat stroke. There is a need to drink electrolyte water in proportion to the amount of sweat released from the body. Electrolyte water means that it has enough minerals. Therefore, it is advisable to drink ORS solution in summer, so that the hydration of the body remains better. The risk of heat stroke is highest between 11 am to 3:30 pm. During this period, one should avoid being out in the sun as much as possible.
4 heat stroke treatment
4.1 lower the temperature first
First of all, try to reduce the body temperature of the person suffering from heat stroke. Sit it in a cool and shady place. Loosen the clothes, give him water to drink, and place a cold cloth on his body. Do not let his body lack water by giving him fluids continuously. Massage his hands and feet with cold water and gentle hands. Give water mixed with salt and sugar, sherbet or lemonade. To cool the eyes, soak cotton in rose water and place it on the eyes. If you get some relief, take you to the doctor.
4.2 Loo and food
In such a situation, the patient can be given bel or other types of sherbet, sattu, etc. Apply sandalwood paste on the soles, palms, and forehead and henna on the head. Do not eat outside food at all when you feel heat stroke. Do not eat fried food even at home. Keep drinking lemon water and electrolytes. Sugar patients should take sherbet and thandai without sugar. Drinking a mixture of half milk and half water several times a day is beneficial.
4.3 treatment in ayurveda
If you feel heat stroke, you can use these Ayurvedic medicines as per the doctor's advice - If the pulse is weak then take Sanjivani Sura with two spoons of water. If there is a high fever, take one tablet of Jaimangal juice and Godanti mixture with water in the morning, afternoon, and evening. If vomiting occurs, take half a teaspoon of Eladi powder and camphor stream with water. If you feel faint, immediately give one tablet of Fooltak juice with water.
4.4 treatment in homeopathy
In the summer season, taking one dose of Gelsemium-200 once every 15 days protects from heat stroke. If there is fever, weakness, restlessness, and weakness along with heat stroke, then give Arsenic Album 30. If there is a high fever, dry mouth, excessive urination, and constipation, then give Bryonia-30. In this, the patient's mouth remains dry and he feels more thirsty.
5 things to keep in mind to protect yourself from heat stroke
5.1 Avoid going to hot places after leaving AC
Coming out of an air-conditioned room or car and immediately going to a hot place or sunlight, the body faces difficulty in maintaining its temperature balance, hence cold may start and health may deteriorate.
5.2 Do not drink refrigerator water immediately after coming back from the sun.
Many people immediately drink cold water from the fridge after coming from the sun or outside. This can cause a cold and cough. After coming out from the sun, one should sit for some time and let the body cool down. After this, it is good to drink water.
5.3 Do not take paracetamol, take a bath in cold water
If you have a fever due to heat stroke, then you should not take paracetamol on your own. This can be fatal for the liver and kidneys. You can take a bath with cold water several times a day.
5.4 Do not drink street water
During summer, water starts being sold on street vendors in many places. The cleanliness of street vendors' water tanks is not good. Drinking its water and eating cut fruits sold openly can cause diarrhea.
5.5 Eat fruits only after washing
It is a miracle of nature that seasonal fruits like watermelon, melon, mango, litchi, etc. have more water content in summer. During these days, seasonal fruits, cucumber, and cucumber should be used more. Chemicals are used to ripen fruits, hence fruits should be used only after washing them properly.
Friends, follow all these measures to protect yourself and the people around you from heat waves and diseases occurring in the summer season.
0 टिप्पणियाँ