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वात - पित्त - कफ और त्रिदोष क्या है इनका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? भाग -1 \What are Vata, Pitta, Kapha and Tridosha and what effect do they have on our health? part 1

ENGLISH TRANSLATION ARE BELOW

हेलो दोस्तों में आशा करता हु की आप सभी अच्छे होंगे। आज के आर्टिकल में हम आप सभी को "वात - पित्त - कफ और त्रिदोष क्या है इनका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?"के बारे में सारी जानकारी देने वाले है आशा करता हु की आप सभी को वात - पित्त - कफ और त्रिदोष के बारे में दी गई जानकारी पसंद आएगी तो आइये जानते है इनके बारे में 


दोस्तों जब भी हम सब बीमार पड़ते हैं तो कुछ दवाइयां(तीनो प्रकार कीदवाइयों में से एक प्रकार) खाकर जल्दी से राहत पा लेते हैं लेकिन कुछ दिनों बाद आप फिर उसी बीमारी से पीड़ित हो जाते हैं। असल में कई ऐसे रोग होते हैं जिन्हें अगर जड़ से खत्म ना किया जाए तो वे बार-बार आपको परेशान करते हैं। आज की हमारी चिकित्सा प्रणाली रोग को जड़ से खत्म करने की बजाय उसके लक्षणों से तुरंत आराम दिलाने में ज्यादा कारगर है। यही वजह है कि अब लोगों का रुझान आयुर्वेद की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है। आयुर्वेद की मदद से आप रोग से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।

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प्राचीन काल से ही मनुष्य रोगों को दूर करने की कोशिशें करता रहा है। उस समय ऋषि मुनियों ने जड़ी बूटी और सही जीवनशैली के आधार पर चिकित्सा प्रणाली विकसित की जिसे आयुर्वेद का नाम दिया गया। आयुर्वेद शब्द का मतलब है : आयुष + वेद, अर्थात इस शब्द का अर्थ हुआ : जीवन का विज्ञान। साधारण शब्दों में कहें तो जीवन को ठीक तरह से जीने का विज्ञान ही आयुर्वेद है। आयुर्वेद की मूल रचना संस्कृत में होने के कारण लोगों को आयुर्वेद के मूल नियमों को समझने में काफी मुश्किलें आती हैं। आयुर्वेदिक पद्धति से जुड़े दोष, गुण, रस और प्रकृति जैसे शब्दों को लोग जानते तो हैं लेकिन असल में इन शब्दों के सही मायने समझ नहीं पाते हैं। इसलिए हमारा यह प्रयास है कि हम आपको अपने लेखों के जरिये आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को ठीक से समझा सकें और इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकें।



आयुर्वेदिक पद्धति में इलाज के दौरान चिकित्सक सिर्फ़ रोग के लक्षणों को ही नहीं देखता बल्कि आपके मन, प्रकृति, दोषों (वात - पित्त - कफ) और धातुओं की स्थिति को भी ध्यान में रखता है। यही वजह है कि एक ही रोग से पीड़ित होने के बावजूद भी अलग-अलग मरीजों की प्रकृति और दोष के अनुसार उनकी दवाइयां अलग अलग हो सकती हैं। अब बात आती है कि ये दोष, मन, प्रकृति और धातु क्या हैं? आइये दोस्तों हम सबसे पहले दोष क्या है , इसे समझते हैं।

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    त्रिदोष सिद्धांत क्या है ?

    जब इलाज के लिए आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास जाते हैं तो वे कहते हैं कि आपके शरीर में वात बढ़ गया है या पित्त के बढ़ जाने के कारण आपको यह समस्या हो रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये वात पित्त कफ क्या हैं? और इनके बढ़ जाने से शरीर को क्या नुकसान हैं?


    हमारा शरीर पांच तत्वों (जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु) से मिलकर बना है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर का स्वास्थ्य इन तीन चीजों पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है : वात - पित्त - कफ। ये तीनों अगर शरीर में संतुलित अवस्था में हैं तो आप स्वस्थ हैं, अगर इनमें से किसी का भी संतुलन बिगड़ा तो रोग उत्पन्न होने लगते हैं. इसी वजह से इन्हें ‘दोष’ कहा गया है। इन दोषों की संख्या तीन होने के कारण ही इन्हें त्रिदोष कहा गया है।

      प्रत्येक दोष में ऊपर बताए गये पांच तत्वों में से 2 तत्व होते हैं और उन्ही तत्वों के स्वभाव के आधार पर इन दोषों के लक्षण निर्धारित होते हैं। जैसे कि वात दोष ‘आकाश’ और ‘वायु’ इन दो तत्वों से मिलकर बना है। इन दोनों तत्वों के स्वभाव में ही गतिशीलता है तो वात के लक्षण भी गति से जुड़े हैं। इन दोषों के असंतुलित होने के दो मुख्य कारण हैं, पहला इन दोषों में बढ़ोतरी और दूसरा इनमें कमी। वैसे देखा जाए तो किसी दोष में बढ़ोतरी होने से ही रोग होते हैं क्योंकि अगर दोष स्वयं ही कमी की अवस्था में है वो रोग उत्पन्न नहीं कर पायेगा।आपकी खराब जीवनशैली और खानपान से इनका प्रभाव बदलता रहता है और यही बीमारियों के मुख्य कारण हैं। इसे ऐसे समझें कि अगर आप कफ दोष को बढ़ाने वाली चीजें ज्यादा खा रहे हैं तो आपको कफ दोष से जुड़े रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।



      असल में हमारे शरीर का निर्माण दोष, धातु और मल इन तीनों से मिलकर हुआ है और इसमें भी दोष को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। जब ये तीनों दोष संतुलित रहते हैं तो शरीर स्वस्थ रहता है अगर इनमें से किसी एक का भी संतुलन बिगड़ा तो आप किसी न किसी रोग के शिकार हो सकते हैं। ये तीनों दोष खुद दूषित होकर धातु और मल को भी प्रभावित कर देते हैं और शरीर में रोग उत्पन्न कर देते हैं। इसलिए इन दोषों को संतुलित होना ही स्वस्थ होने की पहली निशानी है।

      दोस्तों इस आर्टिकल में हमने जाना की वात - पित्त - कफ तीनो धातु हमारे स्वास्थ्य के लिए क्या महत्त्व रखते है दोस्तों "वात - पित्त - कफ और त्रिदोष क्या है इनका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ? भाग -1" इसी के भाग 2 हम जानेगे वात - पित्त - कफ तीनो धातुओं के बारे पूरी तरह से. . . . 
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      ENGLISH TRANSLATION ARE BELOW

      Hello friends, I hope you all are well. In today's article, we are going to give you all the information about "What are Vata - Pitta - Kapha and Tridosha and what is their effect on our health?" I hope you all will like the information given about Vata - Pitta - Kapha and Tridosha, so let's know about them

      Friends, whenever we fall ill, we get quick relief by taking some medicines (one of the three types of medicines) but after a few days you again fall ill with the same disease. Actually, there are many such diseases which if not eradicated from the root, they trouble you again and again. Today's medical system is more effective in providing immediate relief from the symptoms of the disease rather than eradicating it from the root. This is the reason why now people are increasingly turning towards Ayurveda. With the help oAyurveda, you can get rid of the disease forever.

      यह भी पढ़िए\Also read....................जीवन में स्वस्थ रहने के नियम कौन - कौन से है ?\What are the rules of staying healthy in life?

      Man has been trying to get rid of diseases since ancient times. At that time, sages developed a medical system based on herbs and proper lifestyle which was named Ayurveda. The word Ayurveda means: Ayush + Veda, that is, the meaning of this word is: Science of life. In simple words, Ayurveda is the science of living life properly. Due to the original composition of Ayurveda being in Sanskrit, people face a lot of difficulties in understanding the basic rules of Ayurveda. People know the words like dosha, guna, rasa and prakriti related to the Ayurvedic system, but in reality they do not understand the true meaning of these words. Therefore, it is our endeavor to explain the basic principles of Ayurveda to you through our articles and provide complete information related to it.

      During treatment in the Ayurvedic system, the doctor not only looks at the symptoms of the disease but also keeps in mind the condition of your mind, nature, doshas (Vata - Pitta - Kapha) and dhatus. This is the reason that despite suffering from the same disease, the medicines of different patients can be different according to their nature and dosha. Now the question comes that what are these doshas, ​​mind, nature, and dhatus? Come friends, let us first understand what is dosha.

        What is Tridosha's theory?

        When you go to an Ayurvedic doctor for treatment, he says that the vata in your body has increased or you are having this problem due to the increase of bile. But have you ever wondered what are these vata pitta kapha? And what are the harms to the body due to their increase?

        Our body is made up of five elements (water, earth, sky, fire and air). According to Ayurveda, the health of the body depends on these three things the most: Vata, Pitta and Kapha. If these three are in a balanced state in the body, then you are healthy, if the balance of any of these is disturbed, then diseases start arising. This is why they are called 'Doshas'. These doshas are called Tridoshas because they are three in number.

          Each dosha has two elements out of the five elements mentioned above and the symptoms of these doshas are determined on the basis of the nature of those elements. For example, Vata dosha is made up of two elements 'sky' and 'air'. Movement is in the nature of both these elements, so the symptoms of Vata are also related to movement. There are two main reasons for the imbalance of these doshas, ​​first is the increase in these doshas and second is their decrease. If seen, diseases occur only due to increase in any dosha because if the dosha itself is in a state of deficiency, it will not be able to cause disease. Their effect keeps changing due to your bad lifestyle and eating habits and these are the main causes of diseases. Understand it like this that if you are eating more things that increase Kapha dosha, then the possibility of you getting diseases related to Kapha dosha increases.

          Actually our body is made up of dosha, dhatu, and mal and in this too dosha is considered the most important. When these three doshas are balanced, the body remains healthy, if the balance of any one of these is disturbed, then you can fall prey to some disease or the other. These three doshas themselves become contaminated and affect dhatu and mal and cause disease in the body. Therefore, the first sign of being healthy is the balance of these doshas

          Friends, in this article we learned what importance the three metals Vata - Pitta - Kapha hold for our health. Friends, "What are Vata - Pitta - Kapha and Tridosha and what is their effect on our health? Part -1" In part 2 of this, we will know completely about the three metals Vata - Pitta - Kapha. If you liked the information given, then definitely share the article, and do not forget to comment positively and follow us to read health-related articles and subscribe to our blog.

          Thank you for reading the article

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