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आपका नमक कैसा हो ? आयोडीन नमक हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है या फिर नुकसान दायक? \How is your salt? Is iodine salt beneficial or harmful for our health?

नमक हमेशा सेंधा या काला खायें । हाई बी ० पी ० और लो बी ० पी ० दोनों में नमक औषधि है । जिनका ब्लड प्रेशर ऊँचा है उन्हें समुद्र स्नान करना चाहिए या स्नान करते समय पानी में समुद्री नमक या सेंधा या काला मिला दें । कम से कम 15-20 दिन तक साबुन न लगायें । जिनका ब्लड प्रेशर लो है उन्हें सेंधा या काला नमक पानी में मिलाकर पीना चाहिए ।

 

आयोडीन नमक नपुंसकता लाता है । भारत को छोड़कर दुनिया के सभी देशों में आयोडीन नमक बन्द है । आयोडीन नमक से कम्पल्सन ( अनिवार्यता ) हट गया है । इसलिए आप सेंधा या काला नमक खा सकते हैं ।

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आयोडीन नमक खाने से डेनमार्क में बच्चे पैदा नहीं होते हैं । वहाँ ज्यादा बच्चे पैदा करने पर सरकार द्वारा ईनाम मिलता है । भारत में जनसंख्या कम करने की जरूरत नहीं है , जरूरत है संसाधनों का सही बंटवारा करने की । 


सेंधा या काला नमक सबसे ज्यादा विष को कम करता है ।  काला नमक भी विष को कम करता है । भोजन पकाते समय सेंधा नमक ही प्रयोग करें । सेंधा या काला नमक डाला हुआ खाना खाने के बाद दूध का सेवन किया जा सकता है । 

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ब्रह्मचारी लोगों के लिए सेंधा या काला नमक सबसे अच्छा होता है । हल्दी भी सामान्य से थोड़ी सी ज्यादा मात्रा में डालना चाहिए जिससे जहर थोड़ा और कम हो जायेगा । सबसे ज्यादा सोडियम सेंधा या काला नमक से मिलता है । सोडियम की थोड़ी सी कमी लकवे का कारण हो सकती है । सोडियम की कमी से आवाज भी जा सकती है ।



समुद्री / आयोडीन नमक में 3 से 4 सुक्ष्म पोषक तत्व हैं , जो शरीर को काम आते हैं । सेंधा  नमक में 94 सूक्ष्म पोषक तत्व हैं जो शरीर के काम आते हैं । समुद्र का पानी मनुष्य के अनुकूल नहीं है जिसके कारण समुद्री नमक भी शरीर के अनुकूल नहीं है । अत : शरीर की सारी असमान जटिलताएं बढ़ती हैं । 
समुद्र के सभी नमक रक्तचाप बढ़ाने वाले हैं । समुद्री नमक का चलन मात्र 60 साल पहले से ही शुरू हुआ है । दैनिक आहार में शरीर को आवश्यक आयोडीन  की मांग की पूर्ति हो जाती है अर्थात अतिरिक्त आयोडीन  की आयश्यकता शरीर को नहीं पड़ती है । क्योंकि आयोडीन  की मांग शरीर में अधिक होने की स्थिति में नपुंसकता बढ़ती है । 


नमक को फ्री फ्लो बनाने के लिए नमक की नमी को निकाला जाता है और नमक का गुण ही है कि वह नमी को धारण करे । नमी को निकालने के लिए एल्युमिनियम सिलिकेट केमिकल डालते हैं जो कि बहुत ही खतरनाक है । दूसरा केमिकल पोटैशियम आयोडेट जो अप्राकृतिक है । ये दोनो केमिकल हमारे शरीर में बहुत सी जटिलताओं को जन्म देते हैं । 

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